باید فراموشت کنم؟
نوشته شده توسط : اعظم خواجه اف - خجسته

 

 "باید فراموشت کنم"

 

فریادرا چون حلقه در گوشت کنم

یاد تو را بیرون کنم از تار و پود خاطرم

در عالم متروکه ای چون مرتدی با غم هماغوشت کنم

بیرون شوم از بند تو و- از نو بسازم خویش را تا در جهان بیش و کم

با آن همه دارندگی بیچاره و یک خانه بردوشت کنم.

نه،نه، مبادا اینچنین، من بی تو هیچم، هیچ،هیچ

مستانه آ، با بوسه گلپوشت کنم

چون جام می نوشت کنم

 

Бояд фаромушат кунам

Фарёдро чун халқа дар гушат кунам

Ёди туро берун кунам аз тору пуди хотирам

Дар олами матрукае чун муртаде бо ғам хамоғушат кунам

Берун шавам аз банди Ту в-аз нав бисозам хешро, то дар чаҳони бешу кам

Бо он ҳама дорандагй,бечораву як хонабардушат кунам

На,на! Мабодо инчунин,ман бе Ту ҳечам,ҳеч, ҳеч

 Мастона о, бо буса гулпушат кунам

 Чун чоми май нушат кунам

 





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تاریخ انتشار : شنبه 17 / 12 / 1389 | نظرات ()
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